.. सुमित प्रताप सिंह
माननीय पत्थरबाजों सादर भुगतस्ते! और कैसे हैं आप? पत्थरबाजी कैसी चल रही है? सुरक्षाबलों के ऊपर रोज कितने पत्थर फेंककर दुश्मनी निभाई जा रही है? लाल चौक पर देशद्रोही गतिविधियाँ करके पाकिस्तानी झंडा ठीक से फहरा रहे हैं या नहीं? उम्मीद करता हूँ कि भारतीय तिरंगा जलाकर अपने देशद्रोही होने का सबूत नियम से …
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आलेखः राष्ट्र की सीमाओं का सुरक्षा कवच
अब्दुल कलाम वीर प्रसिवनी धरती माँ की गोद में ऐसे सपूत पले जिन्होंने माँ की ममता, वात्सल्य और अभिमान को गौरवान्वित किया। धरती माँ ऐसे अपने सपूतों से हर्षित होती है और अपनी परवरिश को सराहती है, गहरा अंधेरा चाहे जितना हो, एक दीप ही पर्याप्त है उसे उजाले में भरने के लिए। माँ के धैर्य, सहनशीलता, उदारता…
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स्नेह की पाती. स्नेहियों के नाम
स्नेह की पाती. स्नेहियों के नाम स्नेही पाठकों, स्नेहाभिनंदन एक विशाल लोकतंत्र के चुनाव अपने परिणामों के साथ भारतीय जनमानस के सम्मुख जब उजागर हुए तो लोकतांत्रिक देश के अलोकतांत्रिक असामयिक जन निर्णय ने लोकतंत्र की आत्मा को ही झकझोर दिया है। आज यह अनुभव हमें यह आभास कराने की कवायद करते दिखाई दे रही ह…
सम्पादकीय Jan -March - 2019
सम्पादकीय  - JAN- MARCH 2019 क्षण प्रतिक्षण बदलते वैश्विक परिवेश में यह अनभति कहीं अंतस में गहरी पीडा का संचार कर रही है। अपने बड़ों से सुना था कि कलयुग आएगा तो यह होगा वह होगा, जाने क्या-क्या? सुनकर अज्ञात भय से मन कांप उठता। पर्वजों ने अपनी टाटशि से सब कळ समझकर अपने पालितों को ससंस्कार देकर यह हि…
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व्यंग्य दीवाली व्यय साम्प्रदायिकता
व्यंग्य दीवाली व्यय साम्प्रदायिकता सुबह देर से आँख खुली तो घर के दरवाजे पर शोरगल सनाई दियाबाहर निकलकर देखा तो लच्छो रानी अपनी महिला टीम के साथ खडी हई थी। लच्छो रानी का परिचय तो बहुत विशाल है. किन्त अभी यहां उनके संक्षिप्त परिचय से ही काम चला लेते हैं। लच्छो रानी हमारे क्षेत्र की चर्चित महिला हैं। उ…
सफलता की कुंजी -
सफलता की कुंजी -   रिंकी और पिंकी जिस मुहल्ले में रहती थीं. वह अधिक साफ-सथरा नहीं था, किन्त उनका अपना घर बहत साफ, सुन्दर और सजा हुआ था, यहां तक कि घर के बाहर भी किसी तरह की गंदगी नजर नहीं आती थी। महल्ले के सभी लोग जानते थे कि रिंकी और पिंकी की माँ बहत ही परिश्रमी और सलीके वाली है। वह सुबह जल्दी उठ …
आजादी बलिदान मांगती है.. (आलेख )
आजादी बलिदान मांगती है...   स्वतंत्रता व्यक्ति का जन्मजात अधिकार है और इस सत्य को मानव के प्राकृतिक स्वार्थ की भावना से ऊपर उठकर कहा जाए तो केवल व्यक्ति ही नहीं बल्कि जीवमात्र का अधिकार है कि वह स्वतंत्र रहे। पर यह अधिकार कर्तव्य के पेट से पैदा हआ होना चाहिए, और इस भावना के साथ पला और बढ़ा हुआ भी ह…