माननीय पत्थरबाजों सादर भुगतस्ते!
और कैसे हैं आप? पत्थरबाजी कैसी चल रही है? सुरक्षाबलों के ऊपर रोज कितने पत्थर फेंककर दुश्मनी निभाई जा रही है? लाल चौक पर देशद्रोही गतिविधियाँ करके पाकिस्तानी झंडा ठीक से फहरा रहे हैं या नहीं? उम्मीद करता हूँ कि भारतीय तिरंगा जलाकर अपने देशद्रोही होने का सबूत नियम से दे रहे होंगे। क्या कहा इन दिनों ये सब नहीं कर पा रहे हैं? अच्छा तो इन दिनों आपकी किस्मतरूपी भैंस डूब रखी है? वैसे इन दिनों आप सब पर जो बीत रही है उसकी मुझे अच्छी तरह खबर विभिन्न संचार माध्यमों से मिल रही है। अमाँ यार मैं तो बस यँ ही दिल्लगी कर रहा था। ओहो आप तो नाराज होने लगे। अरे भाई आप सब लोगों ने इतने दिनों अपने मुल्क से दिल्लगी की तो मैंने आप सबसे जरा सी दिल्लगी की तो कौन सी गुस्ताखी कर दी? जानता हूँ कि इन दिनों भारत के स्वर्ग यानि कि कश्मीर में, जिसे आप सब अपनी बपौती समझते हैं, कुदरत अपने भयानक रूप में आ रखी है। जिसकी वजह से इन दिनों आप सबकी बोलती बंद हो रखी है। जिस सेना को आप स हीं देख सकते थे आजकल उस सेना के आगे ही हाथ जोड़कर रहम की भीख माँग रहे हैं। जरा बीते दिनों को भी कुछ पलों के लिए याद करें। जिस देश ने तुम्हें अपना अभिन्न अंग समझकर इतनी सुविधाएं दी, सस्ती बिजली, सस्ता अनाज और दिल खोलकर अनुदान दिए, घाटी में पर्यटन उद्योग को विकसित करने के लिए सरकारी कर्मचारियों को विशेष पैकेज दिए। सिर्फ और सिर्फ इसलिए ताकि घाटी का विकास हो सके और आप सब लोग चैन से रहकर खुशहाल जीवन जी सकें, लेकिन तुमने तो जिस थाली में खाया उसी में छेद किया। धर्म के नाम पर अन्य धर्म के अनुयायियों को काफिर घोषित कर उन्हें घाटी से ही खदेड़ दिया। भारतीय होकर भा दुश्मन दश के गुण गाए और आप सबकी सुरक्षा के लिए जिन सुरक्षा बलो का तनात किया गया उन पर ही पत्थर बरसाए। यह देश आप सबको अपना समझता है और आप सब इसे पराया। इस देश की सेना आप सबके लिए अपनी सेना न होकर भारतीय सेना है। आप सब अक्सर जन्नत और दोजख के नाम पर चिल्लपों करते रहते हैं न। तो भई जहाँ तक अपना तर्जुबा है जन्नत और दोजख के लिए मरने की जरूरत नहीं है। ये दोनों तो ऊपरवाल का कृपा से इस जन्म हा नसीब हो जाते हैं। न्याय और अन्याय का पूरा हिसाब-किताब ऊपरवाला इस धरती पर ही चुका देता है। अब जैसे आप सबने प्यार का बदला नफरत से दिया, वफादारी का बदला गद्दारी से दिया और दोस्ती का बदला दुश्मनी से दिखाकर दिया तो ऊपर वाले का नाराज होना तो लाजमी था न। उसने कुदरत के माध्यम से भयंकर रूप धरा और आप सबको जन्नत से दोजख का नजारा दिखा दिया। हालांकि ये और बात है कि आप सबके पापों की सजा आप सबके साथसाथ कछ बेगनाहों को भी मिल गई। अब उम्मीद है कि आप सब कदरत के कहर से कछ सबक लेंगे और आप सबको बचाने की खातिर अपनी जान को जोखिम में डालकर दिन-रात एक कर रहे सेना के जवानों की भावना को समझते हए अपने दिलों में भरे हए खतरनाक जहर को बाढ़ के पानी के साथ ही बहा देंगे और आगे आने वाले नये भारत के निर्माण में अपना योगदान देंगे तथा भारत के स्वर्ग कश्मीर को सही मायने में स्वर्ग बनवाने में योगदान देंगे। यह तब ही हो जाएगा जब आप सब खद को एक अच्छा भारतीय नागरिक मानना शरू करेंगे। उम्मीद है कि वह दिन जल्द ही आएगा जब आप सब अपनी भारतीय सेना का स्वागत अपने हाथों से पत्थर नहीं फल बरसाकर करेंगे और देश के दुश्मनों की साजिशों को ठेंगा दिखाकर लाल चौक पर तिरंगा फहराकर राष्ट्रगान को स्वाभिमान से गाते हुए दुनिया को दिखाई देंगे।
कुदरत की शांत होने की कामना . करते हुए आप सबके दिलों के बदलाव की कामना करता हुआ आपका एक भारतीय भाई। . .