कर्मयोगी बेटा
दो बुजुर्ग आपस में बातें कर रहे थेपहले ने कहा – 'मेरा बेटा बहत योग्य निकला। मैंने उसको कामयाब बनाने में कोई कसर नहीं रखी। उसकी पढाई-लिखाई में किताब-कापी, टयूशन कोचिंग सब कराईचाहे मुझे आफिस से कभी मित्रों से कर्ज भी लेना पदा पर बेटे को पढ़ा-लिखा कर कामयाब बनाया।' दसरे ने उत्सकता से पछा - अच्छा बेटा है कहाँ। क्या करता है।
कामयाब बनाया।' दसरे ने उत्सकता से पछा - अच्छा बेटा है कहाँ। क्या करता है। ___ अरे बडी कम्पनी में जॉब करता है हैदराबाद में। हवाई जहाज में विदेशों में भ्रमण करता है। उसकी कंपनी में इतनी पूछ-परख ऐसे ही थोड़े है वह रात-दिन एक करके काम में लगा रहता है कर्मयोगी है मेरा बेटा।'
__ तुम्हारे पास भी हवाई जहाज से हाल-चाल जानने आता होगा। और कभी-कभी तुम्हें भी जहाज की सैर कराता होगा। दूसरे ने कहा। _ नहीं यह सब अब संभव नहीं है उसके पास अपने काम के अलावा समय नहीं है पिछले महीने मैं बीमार पड़ा था तब भी वह समय नहीं निकाल सका था। पहले बुजुर्ग ने धीरे से जवाब दिया पर उसकी आँखें न केवल जलपूरित थी बल्कि बेटे के लिए आतुर ॥ थी। पर सब कुछ छुपाने की गरज से बात पलटते हुए कहा - अच्छा भइया तुम्हारा बेटा भी तो बड़ा होनहार है वह आजकल कहां है? वह भी बाहर ही होगा क्या कहीं विदेश में है? दिखाई नहीं पड़ताi
दूसरे बुजुर्ग को जो अब तक कहीं पछतावा था कि दूसरों के बेटों जैसा मेरा बेटा न किसी बड़ी नौकरी को पा सका, ना ही विदेश जा सका। आज सारा पश्चाताप साथी के आँख में आए आँसू से धुल गया था और बहुत ही सहज भाव में बोला – 'मेरा बेटा मेरे पास ही इसी शहर में काम धन्धे से लगा है बाल- बच्चों का पालन-पोषण भी कर रहा है और हमारी पूरी देख-रेख भी।अब मित्र तुमसे क्या तारीफ करें विगत वर्ष से उसकी माँ बिस्तर में पड़ी है उसकी सेवा-सुश्रुषा भी वही करता है हमें किसी बात की चिंता नहीं हैतभी सामने से बुजुर्ग का पोता
तभी सामने से बुजुर्ग का पोता आता दिखा जिसकी पीठ पर बस्तों का भरा स्कूल बैग था। स्पष्ट था कि स्कूल की छुट्टी हो गयी है वह घर जा रहा है। उसने जोर से आवाज लगाई दादा जी और आकर दादाजी से लिपट गया फिर बोला दादा जी आप अपनी पानी की बोतल और थैला मुझे दें, और छड़ी उठाए घर चलते हैं। माँ हम दोनों को खाने पर इंतजार कर रही होंगी। अब दादा
पहले बुजुर्ग के समक्ष अब दादा जी! शब्द गूंज रहा था। वह चलने को हुआ उसे भी भूख लग गई थी। पर घर में कोई भोजन के लिए प्रतीक्षारत नहीं था। दो माह पूर्व बूढ़ी बीमार पत्नी भी चल बसी थी। .