जीवन की मुस्कान

जीवन  की मुस्कान


 मां परिवार की एक ऐसी धुरी है जिसके चारों ओर परिवार की आस्था विश्वास और अपेक्षाएं चक्कर लगाती हैं। _परिवार का सदृढ़ आधार है मां इस शब्द की ध्वनि में आत्मीय स्नेह बंधनों को हमारे अंतस में झंकृत करती हैंपरिवार समाज की इकाई है और मां परिवार की । परिवार का निर्माण मां के अस्तित्व का प्रत्यक्ष प्रमाण है । मां की ममता, वात्सल्य, स्नेह करूणा की छत्रछाया में परिवार क्रमशः उन्नति करता है। परिवार के लिये एक मां का त्याग. बलिदान, समर्पण सब सराहनीय है, लाजवाब है, अद्वितीय है, असीम है। विश्व पटल पर ध्यान केंद्रित करते समय यह बात और अधिक स्पष्ट हो जाती है कि पूरे विश्व मानव समाज में मां का स्थान सर्वोपरि है। आपसी प्यार सहयोग, सदभावना, त्याग समर्पण, भाईचारा, सत्य, अहिंसा, अस्तेय अपरिग्रह जैसे मानवीय व जीवनीय मूल्यों का प्रशिक्षण अनायास परिवार में मां से ही सीखने को मिलता है यहां तक कि भाषा पर भी अधिकार मां का है बच्चा चाहे जितनी भाषायें सीख सकता है और सारी भाषायें उसे अपनी मातृ भाषा के द्वारा ही सीखने को मिलती है। मां ही बच्चे को बोलना सिखाती है इस लिये वह मातृभाषा है विश्व की हर भाषा मातृ-भाषा है। भाषा के रूप में बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है जीवन की हर दशा, दिशा का ज्ञान व भाषा के माध्यम से सीखता है। हमारी संस्कृति, आचरण, व्यवहार, संस्कार बहुमुखी आयामों का समग्र ज्ञान भाषा के द्वारा बच्चा मां से ही सीखता है


निष्कर्ष रूप में यह बात निष्कर्ष रूप में यह बात स्वतः ही प्रमाणित होती है कि मां के रूप में नारी का स्थान परिवार में अति महत्वपूर्ण है। भारतीय संस्कृति व भारतीय परिवेश में यह संदर्भ और भी अधिक दर्शनीय है। परिवार शब्द में जो चमत्कार है वह फैमिली शब्द के उच्चारण से हम नहीं प्राप्त करते हैं। “परि'' ''वार'' शब्द में परि का अर्थ चारों ओर और वार शब्द अर्थ है हर दिन, हर समय/ परिवार का अर्थ यह है कि जो हर दिन हर पल, हमारे साथ हमारे चारों ओर बने रहते हैं, उन्हें ही हम परिवार कहते हैं। परिवार में मातापिता, दादा-दादी, चाचा-ताऊ, दीदी ताई, बुआ जैसे रिश्ते हमारे चारों ओर किसी अंग रक्षक की तरह होते हैं, उनके इस तरह करीब रहने की अनुभूति से हम स्वयं को पूर्ण सुरक्षित व स्वतंत्र अनुभव करते हैं।



जीवन अनमोल है इस जीवन की सबसे खूबसूरत बात है हमारी आपकी हम सब की मुस्कान, जी हां जब हम अपनी गुणों योग्यताओं, व अच्छाईयों के द्वारा परिवार की प्रतिष्ठा को समाज, राष्ट्र व मानव समाज में बढाते हैं तो परिवार के विकास, उन्नति, प्रगति में सबके सहयोग से हमारे होठों पर मुस्कान आ जाती है।